हाँ, के.वि.सं. की अपनी प्रशिक्षण नीतियाँ हैं।
- Thursday, November 21, 2024 22:26:27 IST
हाँ, के.वि.सं. की अपनी प्रशिक्षण नीतियाँ हैं।
हाँ, के.वि.सं के 05 आंचलिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (जीट) हैं, जोकि निमन्वत हैं:-
• आं.शि.प्र.सं. ग्वालियर (स्थापना -2002)
• आं.शि.प्र.सं. मुंबई (स्थापना -2003)
• आं.शि.प्र.सं. मैसूर( स्थापना-2004)
• आं.शि.प्र.सं. चंडीगढ़ (स्थापना-2009)
• आं.शि.प्र.सं. भुवनेश्वर (स्थापना-2012)
के.वि.सं. द्वारा वर्तमान में अधिकारियों , शिक्षकों एवं गैर- शैक्षणिक कर्मचारियों के लिए निम्न प्रकृति एवं अवधि के प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रचलित हैं:
• अभिविन्यास पाठ्यक्रम – 03 दिवसीय
• प्रवेषण कार्यक्रम -07 से 10 दिवसीय (नव- नियुक्त कर्मचारियों हेतु )
• सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम – 21/22 दिवसीय
• पुनश्चर्या कार्यक्रम -03 से 05 दिवसीय
• कार्यशालायें- 01 से 05 दिवसीय
सेवाकालीन प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्य हैं:-
• शिक्षकों को विध्यार्थियों की आवश्यकताओं, रुचि और समस्याओं के प्रति संवेदनशील बनाना
• के.वि. के शिक्षकों का क्षमता निर्माण एवं अभिवृत्ति मे परिवर्तन
• शिक्षा-क्षेत्र में होने वाले परिवर्तनों एवं विकास से शिक्षकों को परिचित करवाना
आं.शि.प्र.सं. का वार्षिक प्रशिक्षण कैलेंडर (अप्रैल से मार्च, प्रत्येक वर्ष) के.वि.सं.(मु.) द्वारा अनुमोदित होता है और आं.शि.प्र.सं. द्वारा वर्ष भर तदनुसार प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन होता हैं।
के.वि.सं. द्वारा भारत सरकार के यात्रा/दैनिक भत्तों के नियमों का पालन किया जाता हैं।
यदि कोई कर्मचारी शरदकालीन, शीतकालीन या ग्रीष्मकालीन अवकाशों में 10 दिन या इससे ज्यादा लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रमों मे उपस्थित रहता है तो उसे के.वि.सं.के नियमानुसार अर्जित अवकाश देय होंगे ।
यदि कोई कर्मचारी अवकाश या 10 दिन से कम दिनों के लिए अवकाशों (Breaks/Vacation) में प्रशिक्षण प्राप्त करता है तो उसे के.वि.सं.के नियमानुसार क्षतिपूरक अवकाश प्रदान किए जाएंगे।